अम्बेडकर और इस्लाम - 1


यह बात तो लगभग सभी जानते हैं कि बाबासाहब अम्बेडकर हिन्दुइज्म के मुखर आलोचक थे, वे हिन्दूधर्म मे व्याप्त वर्णव्यवस्था और जातिव्यवस्था के घोर निन्दक थे!
उन्होने हिन्दुत्व पोल खोलती हुई एक किताब 'Riddles in hinduism' भी लिखी थी, पर अम्बेडकर के इस्लाम पर क्या विचार थे, यह बहुत कम लोग ही जानते है!
अम्बेडकर इस्लाम के आलोचक थे या प्रशंसक, यह जानने के लिये उन्ही की किताबों का अध्ययन करना जरूरी है!

अम्बेडकर के हिन्दूविरोधी होने के नाते आज तमाम हिन्दूवादी संगठन अम्बेडकर का भी विरोध करते थे, पर शायद यह कम लोग ही जानते है कि अम्बेडकर इस्लाम के भी बड़े आलोचक थे!

तमाम अम्बेडकरवादी संगठन बाबासाहब के हिन्दुत्व पर विचारों का प्रचार तो करते हैं, पर इस्लाम पर कही गयी और लिखी गयी उनकी बातों को छुपाते हैं!
अम्बेडकर हिन्दुधर्म के पाखण्ड और इस्लाम की कट्टरता, दोनो के विरोधी थे! उन्होने अपनी किताब "पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन" मे इस्लाम की खुलकर आलोचना की है, पर भीमवादी और बामसेफी इस बात को यह सोचकर दबाते हैं कि हिन्दुओं के खिलाफ जो एक दलित-मुस्लिम गठजोड़ की इमारत बन रही है, वह भरभरा कर गिर जायेगी!
बाबासाहब ने इस किताब मे पाकिस्तान का निर्माण कराने के लिये मुसलमानों की निन्दा की है, और लिखा है कि- 'मुसलमानों की राजनैतिक मागें बेतहाशा बढ़ने के कारण देश का विभाजन हुआ'

अम्बेडकर ने इस किताब के पहले ही अध्याय से इस्लाम की संकीर्णता और अक्रामकता की पोल खोलनी शुरू की है!
अम्बेडकर ने पृष्ठ- 68 से लेकर 80 तक मुसलमान आक्रमणकारियों द्वारा भारत का विनाश और हिन्दुओं के नरसंहार पर हृदय विदारक पंक्तियाँ लिखी हैं!

अम्बेडकर ने लिखा है कि जब 711ई० मे भारत पर पहला मुस्लिम हमलावर मोहम्मद बिन कासिम ने आक्रमण किया तो उसका उद्देश्य राजा दाहिर को दण्ड देना नही बल्कि भारत मे मूर्तिपूजकों को मारकर इस्लाम की स्थापना करना था!

मोहम्मद बिन कासिम बगदाद के खलीफा हज्जाज का भतीजा और दामाद था, और वह हज्जाज के आदेश से ही भारत पर आक्रमण करने आया था! जब उसने दाहिर को हरा दिया, तब हज्जाज को लिखे एक खत मे कासिम ने कहा-
"राजा दाहिर को उसके भतीजों के साथ उसके प्रमुख अधिकारियों को ठिकाने लगा दिया गया है! मूर्तिपूजकों को या तो इस्लाम मे दीक्षित कर लिया गया है, या तो तवाह कर दिया गया है! मूर्तियों और मन्दिरों को उखाड़कर मस्जिद बनाये जा रहे हैं, और यहाँ अजान दी जाती है तथा नारा-ए-तकबीर "अल्लाह हू अकबर" सुबह-शाम गूँजती है"

यह पत्र मोहम्मद बिन कासिम ने राजा के सिर के साथ अपने बादशाह हज्जाज को भेजा, और खत पढ़ने के बाद हज्जाज ने वापस खत लिखा-
"तुम सभी को सुरक्षा दो और खुदा का कथन है कि मूर्तिपूजकों से कोई रियायत न बरतो, अपितु उनके गले काट दो... यह समझ लो कि यही महान अल्लाह का आदेश है! इसके बाद उन दुश्मनों के अलावा जो सामान्य सैनिक हैं किसी को भी न बख्शो।

मोहम्मद बिन कासिम और हज्जाज के बीच हुये इस पत्राचार ने इस्लाम के विचारों को खूब दर्शाया है, जिसे बाबासाहब ने अपनी किताब "पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन" (सम्यक प्रेस) के पृष्ठ-69 पर लिखा है!

अम्बेडकर ने इसी किताब के पृष्ठ-366 पर लिखा है कि भारत की सुरक्षा के लिये मुसलमानों को पाकिस्तान दे देना चाहिये, भारत की सुरक्षा भाग्य के भरोसे छोड़ना उचित नही है!
अम्बेडकर पूरे मुसलमानों को भारत से निकालने के पक्ष मे थे, इसी पृष्ठ पर उन्होने लिखा है कि- "सुरक्षित तरीका यही होगा कि भारत का मुस्लिम भारत और गैर-मुस्लिम भारत विभाजन हो जाये"
अम्बेडकर का कहना था कि मै भारत की एकता से अधिक भारत की सुरक्षा को महत्व देता हूँ!

इसके अलावा इस किताब मे अम्बेडकर ने इस्लाम की अवधारणा और मुस्लिम विचारधारा पर भी बहुत कुछ लिखा है, जिसे बामसेफी कभी नही बताते.... पर मै आगे की कड़ियों मे उस पर भी पोस्ट करूँगा!

                                         To be continue.....

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