अम्बेडकर और इस्लाम - 2


अम्बेडकर और इस्लाम - 2

पिछले पोस्ट मे मैने बताया था कि बाबासाहब अम्बेडकर हिन्दुइज्म के साथ-साथ इस्लाम की कट्टरता के भी निन्दक थे, पर उनके नाम पर बने बामसेफ जैसे संगठन इन बातों को छुपाते हैं!
बाबासाहब समय-समय पर इस्लाम की आलोचना करते थे, उसी को आगे बढ़ाते हुये अम्बेडकर ने भारत के मध्यकालीन इतिहास को अपनी किताब 'पाकिस्तान अथवा भारत के विभाजन' मे दर्शाया है!

डा० अम्बेडकर ने किताब के पृष्ठ-70 से महमूद गजनवी के आक्रमण के बारें मे लिखना शुरू किया है, यह बात आपको समझ लेना चाहिये कि अम्बेडकर बड़े उच्चकोटि के इतिहासकार भी थे!

बाबासाहब ने गजनवी के इतिहासकार 'अल उतबी' कि किताब से प्रमाण देते हुये लिखा है कि- "गजनवी का भारत पर आक्रमण 'जिहाद' छेड़ने की बराबरी थी, उसने मन्दिरों से मूर्तियों को तोड़कर इस्लाम की स्थापना की! उसने नापाक काफिरों और मूर्तिपूजकों को मार मुसलमानों को गौरवान्वित किया! और जब वह भारत मे पहली विजय करके घर (गजनी) लौटा तो उसने संकल्प लिया कि वह हर साल हिन्द (भारत) के खिलाफ इसी तरह जिहाद करेगा"

उक्त कथन इतिहासकार अल उतबी ने लिखा है, और सब जानते थी है गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया था!

एक दूसरे इतिहासकार 'हसन निजामी' ने गजनवी की तारीफ मे लिखा है कि- "उन्होने अपनी तलवार से हिन्द मे काफिरों की गन्दगी को साफ किया और पापमुक्त किया, और देश को बहुदेववाद के कलंक से स्वच्छ किया! मूर्तिपूजा की अपवित्रता को तवाह कर अपने शाही शौर्य से मन्दिरों को उखाड़ फेंका"

बाबासाहब आगे लिखते हैं कि भारत पर जितने भी इस्लामी आक्रमण हुये चाहे वो मंगोल हो, चाहे अफगान या तातार,, ये सभी आपस मे भी दुश्मन थे, पर सारे विवादों और संघर्षों के बावजूद इन सभी हमलावरों का एक सामूहिक उद्देश्य था, वह था "हिन्दू धर्म का विध्वंस"

बाबासाहब पृष्ठ-71 पर लिखते हैं कि ये सभी आक्रमणकारी मजहबी जोश मे थे, ये हिन्दुओं को पकड़कर जबरन खतना करते थे, और औरतों-बच्चों को गुलाम बनाते थे! ये हिन्दुओं के घर और मन्दिरों को लुटते थे और इस्लामी नियम के अनुसार पाँचवां भाग बादशाह को देकर बाकी धन सैनिक आपस मे बांट लेते थे!
बाबासाहब ने 'तबकाते-नसीरी' किताब के हवाले से लिखा है-
"विजेताओं ने भयंकर लूटपाट की, नुद्दिया (बिहार) के अधिकांश निवासी ब्राह्मण थे, जिनके सिर मुड़े थे! बहुत भारी संख्या मे पुस्तकें प्राप्त हुई, पर अर्थ न मालूम होने की वजह से सबको नष्ट कर दिया गया"

डा० अम्बेडकर मे महमूद गजनवी के सोमनाथ पर हमले का भी जिक्र करते हुये पृष्ठ-72 पर लिखा है कि उसने (गजनवी) मन्दिर को विध्वंस कर प्रतिमा को ले जाने का साहसिक कृत्य किया, मिन्हाज-अस-सिराज के अनुसार गजनवी ने मूर्ति के चार टुकड़े कर दिये और उसका एक भाग गजनी के जामा मस्जिद मे जमा करा दिया! दूसरे को शाही महल के प्रवेश द्वार पर रखा, तीसरे भाग मक्का और चौथा भाग मदीना भेज दिया!

बाबासाहब ने इसी किताब मे सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के बारें मे भी लिखा है!
डा० अम्बेडकर ने लिखा है कि- "चौदहवीं सदी के प्रारम्भ मे ही खिलजी को हिन्दूओं से काफी संघर्ष करना पड़ा, और चिढ़कर खिलजी ने हिन्दुओं पर अलग से कर लगा दिया था, तथा उन्हे सवारी के लिये घोड़ा रखने की इजाजत नही थी, यही नही खिलजी के शासन मे हिन्दू अच्छे कपड़े भी नही पहन सकते थे"

बाबासाहब के लेखों से यह स्पष्ट था कि इस्लामी आक्रमण मूलतः हिन्दुओं के मन्दिरों का विनाश, उनसे लूटपाट और धर्मपरिवर्तन पर अधिक केन्द्रित था! यह सब करने के लिये मुस्लिम शासक तलवार का सहारा लेते थे, और गले काटने से भी बिल्कुल नही हिचकते थे!

                                         To be continue...

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