आमतौर पर लोग डा० बाबासाहब अम्बेडकर को बहुत बुद्धिजीवी और पाखण्ड विरोधी मानते हैं, पर यह लोगों की भूल है!
असल मे किसी व्यक्ति को बेहतर समझने के लिये उसकी कृतियों को पढ़ना जरूरी होता है, और अम्बेडकर जी की एक ऐसी ही कृति है "भगवान बुद्ध और उनका धम्म"
इस किताब मे अम्बेडकर ने तथागत बुद्ध की पूरी जीवनी और उनके उपदेशों को लिखा है....

मेरे एक मित्र ने मुझे यह किताब पढ़ने का सुझाव दिया, और पढ़कर मुझे ऐसा लगा कि अम्बेडकर भी किसी पौराणिक ब्राह्मण से कम पाखण्डी नही थे!

अम्बेडकर इस किताब मे गौतम बुद्ध के जन्म के संदर्भ मे लिखते हैं कि एक बार महामाया (बुद्ध की माँ) किसी उत्सव मे गयी थी, और उन्हे वहाँ निद्रा आ गयी! फिर उन्होने स्वप्न देखा कि कुछ देवता आये और उन्हे उठाकर एक सुन्दर उपवन मे ले गये!
वहाँ उन देवताओं और उनकी देवियों ने महामाया का खूब स्वागत-सत्कार किया, फिर एक 'सुमेध' नामक देवता ने आकर महामाया से प्रार्थना की, और कहा- "हे देवी! मै धरती पर अपना अन्तिम अवतार लेना चाहता हूँ, क्या आप मेरी माँ बनोगी?
महामाया ने हाँ कर दिया, और वही सुमेध ही नियत समय पर बुद्धरूप मे पैदा हुये"

इतनी बड़ी पाखण्ड वाली उल्टी बाबासाहब ने नौवें पृष्ठ पर ही कर दी है, पर बाबासाहब का पौराणिक गप्प वाला पाखण्ड यहीं नही रुका, और आगे लिखते हैं कि जब बुद्ध पैदा हुये तो आकाश मे देवता 'बुद्ध, बुद्ध' के नारे लगा रहे थे, और 'असित' नामक एक महर्षि ने पूरे जम्बूद्वीप पर दिव्यदृष्टि से देखा तो उन्हे पता चला कि बुद्ध पैदा हो चुके है!

अब जरा विचार करो कि अगर इतनी पाखण्डी बात खुद बाबासाहब बीसवीं सदी मे लिख रहे थे, तो वो किस मुँह से वे हजारों साल पहले लिखी पौराणिक कथाओं का विरोध करते थे!

अम्बेडकर जी पुरातन ब्राह्मणों से भी बड़े पाखण्डी थे, पुराण लिखने वाले ब्राह्मण कितना पढ़े-लिखे थे, यह कोई नही जानता, पर वकालत समेत देश-विदेश से न जाने कितनी डिग्री लेने वाले अम्बेडकर बीसवीं सदी मे ऐसी आडम्बरपूर्ण बात लिख रहे थे!

डा० अम्बेडकर को 'बाबासाहब' उपनाम मिला था, और "बाबा" शब्द सही मे पाखण्ड का पर्याय होता है, फिर अम्बेडकर इस "बाबा" शब्द के प्रकोप से भला कैसे बच पाते!
आखिरकार वे कर ही बैठे ब्राह्मणवादी भूल!

वैसे अम्बेडकर जी तनिक भी ब्राह्मण विरोधी नही थे, बामसेफी लोंगो को झूठ-मूठ मे गुमराह करते हैं, अम्बेडकर ने तो इस किताब मे बाकयदा ब्राह्मणों का गुणगान किया है, और लिखा है कि देवी महामाया ने गर्भधारण करने के बाद आठ ब्राह्मणों को बुलाकर भोजन कराया और सोना-चाँदी दान किये! और इन ब्राह्मणों ने भविष्यवाणी भी की कि आपके घर एक प्रतापी पुत्र पैदा होगा!
अम्बेडकर ने तो तथागत बुद्ध को ब्राह्मणों का आशिर्वाद और एक देवता का अवतार ही बता डाला है, और बिडम्बना तो देखो कि बामसेफी आशिर्वाद और अवतारवाद का विरोध करते हैं!

अब आप जरा सोचों कि ब्राह्मणी पाखण्ड का विरोध करने वाला संगठन 'बामसेफ' क्या अम्बेडकरी पाखण्ड पर मुँह खोलता है!
बामसेफ इन बातों को दबाता है, बल्कि मुझे तो लगता है कि बामसेफियों ने अम्बेडकर को पढ़ा ही नही है!
खैर मै केवल यही कहूँगा कि देशविरोधी संगठन बामसेफ से दूर ही रहें, बामसेफ केवल लोगों मे वैमनस्य फैलाकर देश तोड़ना चाहता है!

आगे इस किताब को और पढ़ूँगा, तो और भी पोस्ट करूँगा!

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