इस्लाम का कलमा है.........

इस्लाम का कलमा है.........


लाइलाहा ईललाल्लाह; मोहममदुर रसूलअल्लाह | ( لا أ له أ لا الله محمد ر سول أ لله)
अर्थात ! अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं और, मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं ....! इसी कलमा को तैयब और तौहीद कहते हैं..

साथ ही कलमा शहादत यह है.......

अशहदो अल्ला इलाहा इल्लल्लाह.वा अशहदो अन्ना मोहम मदन अब्द्दुहू व रसु लुहू ...! (أ شهد أن لا أله ألا الله و شهد أن محمد عبده و ر سو له ),

अर्थात - मैं गवाही देता हूँ कि , अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और, साथ ही मैं इस बात की भी गवाही हूँ कि मुहम्मद अल्लाह के बन्दे और उसके रसूल हैं..

अब इस्लामी कलमा और कलमा -ए-शहादत को समझने के बाद एक सामान्य सा प्रश्न उठ खड़ा होता है कि....

कलमा में कहा जा रहा है कि मै गवाही देता हूँ कि...अल्लाह् के सिवा कोई नहीं साथ ही गवाही देता हूँ कि....मुहम्मद अल्लाह के बन्दे और उसका रसूल है परन्तु, सवाल यह है कि यह गवाही दे कौन रहा है....?
यानि यह कलमा कौन पढ़ रहा है इन्सान
अर्थात इस्लाम स्वीकार करने वाला एक सामान्य सा मानव ही ना..?

तो इसका मतलब क्या ? कुरान का अल्लाह अपने आप में सिद्ध नहीं है ? जो उसके लिए एक सामान्य से मानव को उसकी गवाही देनी पड़ गयी...?

और उससे भी बड़ा लाख टके का सवाल यह उठ रहा है कि मानव से गवाही मांगी किसने?

क्योंकि गवाही झूठी भी तो हो सकती है ...?फिर भी चलो एक बार यह भी मन लेता हूँ कि अल्लाह पर शायद कोई केस चल रहा होगा इसीलिए, मज़बूरी में उन्हें गवाही की जरुरत पड़ रही होगी.....

पर मोहम्मद का रसूल होने की गवाही किसलिए ?
क्या किसी इंसान ने मुहम्मद या अल्लाह को देखा है ....????
और, अगर देखा भी है तो क्या, वो अल्लाह को मुहम्मद नामक व्यक्ति को उसका रसूल नियुक्त करते हुए देखा है..?

जब देखा ही नहीं है तो फिर कौन सी और कैसी गवाही...?

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रसूल और उनका कामसूत्र✓=इस्लामिक कामसूत्र।

*वेदार्थ कल्पद्रुम*