|| कुरान से प्रमाण मिलता है खुदा की कलाम नहीं ||
|| कुरान से प्रमाण मिलता है खुदा की कलाम नहीं ||
कई दिन पहले मैंने आप लोगों को प्रथम सूरा फातिहा से यह प्रमाणित कर दिखाया था की यह कलाम खुदाके नहीं हो सकते | कराण अल्लाह किसी और की तारीफ करते कह रहे हैं, तमाम तारीफ अल्लाह के लिए हैं | देखें फिर से >
الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ [١:٢]
तारीफ़ अल्लाह ही के लिये है जो तमाम क़ायनात का रब है।
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ [١:٥]
हम तेरी ही इबादत करते हैं, और तुझ ही से मदद मांगते है।
नोट:- अल्लाह किसकी इबादत करते हैं ? और मदद भी मांगते हैं ? अल्लाह किस से मदद माँगने लगे ? और किस की इबादत करने लगे ? जब की इबादत के लायक सिर्फ जिन और इन्सान है ?
यह प्रमाण मैंने आप लोगों को दे चूका हूँ | आज कुछ और प्रमाण दे रहा हूँ उसे भी देखें और विचार करें की जिस कुरान को लोग कलामुल्लाह कह रहे हैं सही अर्थों में यह कलामुल्लाह है अथवा नहीं ? मानव कहलाने वालों जरा इस पर चिन्तन और विचार करें |
Sura: Al-Ikhlaas
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
قُلْ هُوَ اللَّهُ أَحَدٌ [١١٢:١]
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ख़ुदा एक है
اللَّهُ الصَّمَدُ [١١٢:٢]
ख़ुदा बरहक़ बेनियाज़ है
لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ [١١٢:٣]
न उसने किसी को जना न उसको किसी ने जना,
وَلَمْ يَكُن لَّهُ كُفُوًا أَحَدٌ [١١٢:٤]
और उसका कोई हमसर नहीं
यह है सूरा इखलास इसका नाम बताया है कुरान में जो सूरा के हिसाब से 112 बताया गया है | किन्तु क्रम के हिसाब से नहीं है | चलो इस सूरा के चार {4} आयात हैं |
इसका पहला वाक्य है, ए रसूल तुम कहदो की खुदा एक है | स्पस्ट बात है की यह अल्लाह रसूल से कह रहे हैं | ए रसूल मेरे बारे में कोई पूछे तो कहना की हमारा परवर दीगर एक है अथवा हमारा अल्लाह एक है ? यह शब्द किसीके पूछने पर ही बताना सम्भव होगा ना की किसी के पूछे बिना भी कोई कहेगा हमारा एब एक है ? फिर यह कलामुल्ला का सिद्ध होना कैसा सम्भव और उचित है ?
अगला शब्द बताया अल्लाह निरपेक्ष है, और सब उसके मुहताज हैं | अब प्रशन अल्लाह पूरी कुरान में मुसलेमीन मुस्लिमात, मुमेनिन मुमेनात, उल्लेख किया सिर्फ मुसलमानों का ही पक्ष है, और फिर बताया निरपेक्ष है ? और सब उसके मुहताज हैं, अल्लाह का कोई काम फरिश्तों के सहयोग के बगैर नहीं होता फिर उसके मुहताज सब कैसे होंगे ? अल्लाह को फरिश्तों का मुहताज होना पड़ेगा |
जिन फरिश्तों से अल्लाह काम लेते हैं ?
आगे बताया उससे कोई जना नहीं, और न वह किसी को जना | अर्थात, जहाँ तक जनने और जन्म देने की बात है यह काम में जीव का है जीवात्मा जन्म लेता है और जन्म देता भी है | इसमें कुछ सन्देह था क्या जो अल्लाह अपनी कलाम में मुसलमानों को बता रहे हैं ?
सभी बातें सवालों के घेरे में ही है कलामुल्लाह ही अगर सवालों के घेरे में हो तो कलामुल्लाह का होना सम्भव नहीं और ना उचित है |
इस प्रकार के अनेक आयतें हैं जो अल्लाह पर ही सवालिया निशान लगा दिया है मैंने सूरा फातेहा का दिखाया था और आज सूरा इखलास आप लोगों के सामने प्रस्तुत हैं | इसपर विचार करें और निर्णय लें, की सही अर्थों में कुरान को कलामुल्लाह कहना मानना और समझना सही है अथवा नहीं ?
धन्यवाद के साथ महेन्द्रपाल आर्य =16 =3 =18 =
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