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सभी स्वाध्यायशील पुस्तक प्रेमियों को एक अनुरोध... यहां पर क्लिक करके बहुत से दिये लिंको में से पीडीएफ पर क्लिक करके पीडीएफ डाउनलोड कर लिजिये । 👇👇👇👇👇👇 🔴🔴   शिवाजी और औरंगज़ेब के काल और इतिहास पर जीवनभर शोधकार्य करने वाले सर यदुनाथ सरकार द्वारा पांच भाग (वोल्युमस) में लिखित *औरंगजेब का सम्पूर्ण ऑथेंटिक इतिहास  ■ कुल 2059 पृष्ठ, 60.50 mb https://drive.google.com/file/d/1uPBkUJokEfb4QXwF9tYU37Wend0eFbR6/view?usp=drivesdk 🔴🔴 Darshan shastra (दर्शन शास्त्र) https://www.dropbox.com/sh/gi2h0euzurincgx/AADKdIU13GoWB23O9KMMiIEca?dl=0 https://drive.google.com/folderview?id=0Byz2ebBsPlhOYVFSZWZmcTd2bVU 🔴🔴 👇🏼 *महापुरुषों के जीवन चरित संग्रह* https://drive.google.com/folderview?id=1-ZD_Eq-SYkx1UmX4a7693ayD382G0JQv 🔴🔴 👇🏼 *स्वामी दयानन्द सरस्वती विषयक ग्रन्थ संग्रह संग्रह* https://drive.google.com/folderview?id=16pMp0wlopdqKkApFPYSz_wvGeaNvhhPW 🔴🔴 👇🏼 *महर्षि दयानन्द के पत्र और विज्ञापन संग्रह* https://drive.google.com/folderview?id=1jC__V4uKRA...

उपनिषदों का अमर सन्देश ।

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कपिल आर्य :    उपनिषदों का अमर सन्देश १. उनिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान् निबोधत । क्षुरस्य धरा निशिता दुरत्यया दुर्ग� पथस्तत् कवयो वदन्ति ।। (कठो॰ ३.१४) अर्थात् अपने चरम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मनुष्यो ! उठो । जागो और अपने श्रेष्ठ (विद्वान् व योगी) पुरुषों के पास जाकर ब्रह्मज्ञान को सीखो । यह ब्रह्मज्ञान का मार्ग तेज उस्तरे की धार के समान अत्यन्त दुर्गम है । ऐसा परमात्मा के साक्षात्कार करने वाले उपदेश करते हैं । २. कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतं समाः । (र्इशावास्योप॰ ) हे मनुष्यो ! जीवन भर श्रेष्ठ कर्मो� को करते हुए ही जीने की इच्छा करो । ३. तेन त्यक्तेन भुन्जीथा मा गृध्ः कस्यस्विद् धनम् ।। (र्इशावा॰ ) अनासक्ति भाव से संसार के भोगों को भोगो और किसी के धन या वस्तुओं की इच्छा मत करो । ४. न वित्तेन तर्पणीयो मनुष्यः ।। (कठो॰१.२७) मनुष्य की धन से कभी तृप्ति नहीं हो सकती । ५. नाविरतो दुश्चरितान्नाशान्तो नासमाहितः । नाशान्तमानसो वापि प्रज्ञानेनैनमाप्नुयात् ।। (कठो॰२.२४) परमात्मा की प्राप्ति केवल बाह्यप्रदर्शन भजन कीर्त्तन...

क्या स्वामी दयानंद की मृत्यु विष के कारण होने से क्या स्वामी जी की महानता कम हो जाती हैं?

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क्या स्वामी दयानंद की मृत्यु विष के कारण होने से क्या स्वामी जी की महानता कम हो जाती हैं? क्या स्वामी दयानंद की मृत्यु विष के कारण होने से क्या स्वामी जी की महानता कम हो जाती हैं? कुछ अज्ञानी लोग (ढोंगी रामपाल एंड कंपनी) स्वामी दयानंद की यह कहकर निंदा करते हैं की की स्वामी जी अगर इतने ही बड़े योगी थे तो उनकी मृत्यु विष के कारण तड़प तड़प कर क्यूँ हुई। वे लोग यह क्यूँ भूल जाते हैं की संसार में अनेक महापुरुषों को मृत्यु का गमन अनेक कष्टों को सहते हुए करना पड़ा था जैसे आदि शंकराचार्य को उन्ही के दो चेलों ने विष दे दिया था जिससे उनकी मृत्यु कई मास तक बीमार रहने के पश्चात हुई थी। योगिराज श्री कृष्ण जी महाराज की मृत्यु पैर में तीर लगने से हुई थी। सिखों के गुरु तेग बहादुर का अंत औरंगजेब के तलवार से उनका सर काटने से हुआ था। वीर शिवाजी की मृत्यु कई मास तक बीमार रहने के पश्चात हुई थी। महाराणा प्रताप जीवन भर रेगिस्तान में अपने शरीर को तपाते रहे, उनका असमय अंत अत्यधिक परिश्रम और आराम न मिलने के कारण हुआ था। १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम में वीर कुँवर सिंह की मृत्यु वृद्ध अवस्था में अप...

नियोग

कपिल आर्य :                     क्या नियोग करना धर्म हैं?जिस किसी भी आस्तिक व्यक्ति ने वैदिकसिद्धान्तों का व्यापक अध्ययन किया है वह कर्मको तीन प्रकार का मानता है।1. धर्म 2. अधर्म, 3. आपद्धर्म।1. धर्म – वह सब कर्म जिनके करने से पुण्य और जिनकेन करने से पाप होता है। जैसे सन्ध्या (सुबह शामपरमात्मा का ध्यान स्मरण) करना, सुपात्र को दानदेना, वाणी से सत्य, प्रिय और पहितकारी बोलना,सुख दुःख और हानि लाभ में समान रहना आदि।2. अधर्म- उन कर्मो का नाम है जिनके करने से पापऔर जिनके न करने से पुण्य होता है जैसे शराब पीना,जुआ खेलना, चोरी, डकैती करना, ठगना, गाली देना,अपमान करना, निरापराध को दण्ड देना आदि।3 .आपद्धर्म – वे सभी कर्म जिनको सामान्यस्थितियों में करना अच्छा नहीं कहा जाता परन्तुजिनको आपदा अथवा संकट में करना पाप कर्म नहींकहलाता हैं। जैसे शल्य चिकित्सक द्वारा प्राणरक्षा के लिए मनुष्य के शरीर पर चाकू चलाना, देशकि सीमा पर शत्रु के प्राणों का हरण करना, जंगल मेंनरभक्षी शेर का शिकार करना, सुनसान द्वीप परप्राण रक्षा के लिये माँस आदि ग्रहण करना आदि।विवाह ध...