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।। ओ३म् ।। का प्रमाण वेद से ।

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।। ओ३म् ।।  का प्रमाण वेद से । यजुर्वेद - २/१३ यजुर्वेद - ४०/१५ यजुर्वेद - ४०/१७

ईश्वर के दर्शन का साधन (ओंकार)

ईश्वर के दर्शन का साधन (ओंकार) प्रियांशु सेठ वेद ने भी और उपनिषदों ने भी 'ओ३म्' द्वारा ईश्वर के दर्शन का आदेश दिया है।'ओ३म्' के द्वारा पर-ब्रह्म और अपर-ब्रह्म के दर्शन होते हैं। अरा इव रथनाभौ संहता यत्र नाडय: स एषोअन्तश्चरते बहुधा जायमान:।ओमित्येवं ध्यायथ आत्मानं स्वस्ति व: पाराय तमस: परस्तात्।।       मुण्डक २।२।६।। "जिस प्रकार से रथ के पहिये के केन्द्र में अरे लगे रहते हैं,उसी प्रकार शरीर की समस्त नाड़ियाँ जिस हृदय-देश में एकत्र स्थिर हैं,उसी हृदय में नाना रूप से प्रकट होने वाले परब्रह्म परमात्मा अन्तर्यामी रूप से रहते हैं।इन सबके आत्मा प्रभु का 'ओ३म्' नाम के द्वारा ही ध्यान करो जो अज्ञान-रूप अन्धकार से सर्वथा अतीत और भवसागर के दूसरे पार है,उस प्रभु को प्राप्त करो।तुम्हारा कल्याण हो।" श्री पण्डित राजाराम जी ने 'ओमित्येवं ध्यायथ आत्मानम्' का अर्थ "उस आत्मा को 'ओ३म्' इस प्रकार ध्यान करो" किया है और पण्डित देवेन्द्रनाथ शास्त्री ने "उस परमात्मा का ओ३म् द्वारा ध्यान करो" अर्थ किया है।भाव यह है कि 'ओ३म्...

कुरान की ऊटपटाँग गलतियाँ और विरोधाभास :-

कुरान की ऊटपटाँग गलतियाँ और विरोधाभास :- (१) क्या कुरान में मिलावट हो सकती है ? नहीं ( 6:34, 6:115, 10:64, 18:27 ) हाँ ( 2:110, 16:101 ) (२) मुहम्मद से कितने फरिश्तों ने बातें कीं ? सिर्फ एक ( 19:16-19 ) एक से ज्यादा ( 3:42, 3:45 ) (३) अल्लाह का एक दिन ईंसानों के हिसाब से कितना लम्बा है ? 1000 साल ( 22:37, 32:5 ) 50000 साल ( 70:4 ) (४) काफिरों की दोस्ती शैतानों से कौन करवाता है ? अल्लाह ( 7:27 ) काफिर खुद ( 7:30 ) (५) क्या फराओन को मार दिया गया या बचाया गया ? मार दिया गया ( 17:102-103, 28:40, 43:45 ) बचा लिया गया ( 10:90-92 ) (६) क्या सभी यहूदी और ईसाई जहन्नुम या दोखज में भेजे जायेंगे ? हाँ बिलकुल भेजे जायेंगे ( 3:85, 5:72 ) नहीं भेजे जायेंगे ( 2:62, 5:69 ) (७) क्या मुहम्मद ज़कात माँगता है ? हाँ ( 2:195, 8:41, 9:103, 9:111, 47:38, 57:10 ) नहीं ( 12:104, 36:21, 42:23, 52:40, 68:46 ) (८) यहूदियों और ईसाईयों के साथ कैसा सलूक करना चाहिए ? उनसे मुहब्बत से पेश आओ ( 2:109 ) उनके खिलाफ लड़ो ( 9:29 ) (९) पहले क्या आया जन्नत या ज़मीन ( धरती ) ? पहले जन्नत आई ( 79:27-30 ) पहले ज़मीन आई ( 2:2...

|| कुरान से प्रमाण मिलता है खुदा की कलाम नहीं ||

|| कुरान से प्रमाण मिलता है खुदा की कलाम नहीं || कई दिन पहले मैंने आप लोगों को प्रथम सूरा फातिहा से यह प्रमाणित कर दिखाया था की यह कलाम खुदाके नहीं हो सकते | कराण अल्लाह किसी और की तारीफ करते कह रहे हैं, तमाम तारीफ अल्लाह के लिए हैं | देखें फिर से >                                الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ [١:٢] तारीफ़ अल्लाह ही के लिये है जो तमाम क़ायनात का रब है। إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ [١:٥] हम तेरी ही इबादत करते हैं, और तुझ ही से मदद मांगते है। नोट:- अल्लाह किसकी इबादत करते हैं ? और मदद भी मांगते हैं ? अल्लाह किस से मदद माँगने लगे ? और किस की इबादत करने लगे ? जब की इबादत के लायक सिर्फ जिन और इन्सान है ? यह प्रमाण मैंने आप लोगों को दे चूका हूँ | आज कुछ और प्रमाण दे रहा हूँ उसे भी देखें और विचार करें की जिस कुरान को लोग कलामुल्लाह कह रहे हैं सही अर्थों में यह कलामुल्लाह है अथवा नहीं ?  मानव कहलाने वालों जरा इस पर चिन्तन और विचार करें | Sura: Al-Ikhlaas بِس...

इस्लाम का कलमा है.........

इस्लाम का कलमा है......... लाइलाहा ईललाल्लाह; मोहममदुर रसूलअल्लाह | ( لا أ له أ لا الله محمد ر سول أ لله) अर्थात ! अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं और, मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं ....! इसी कलमा को तैयब और तौहीद कहते हैं.. साथ ही कलमा शहादत यह है....... अशहदो अल्ला इलाहा इल्लल्लाह.वा अशहदो अन्ना मोहम मदन अब्द्दुहू व रसु लुहू ...! (أ شهد أن لا أله ألا الله و شهد أن محمد عبده و ر سو له ), अर्थात - मैं गवाही देता हूँ कि , अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और, साथ ही मैं इस बात की भी गवाही हूँ कि मुहम्मद अल्लाह के बन्दे और उसके रसूल हैं.. अब इस्लामी कलमा और कलमा -ए-शहादत को समझने के बाद एक सामान्य सा प्रश्न उठ खड़ा होता है कि.... कलमा में कहा जा रहा है कि मै गवाही देता हूँ कि...अल्लाह् के सिवा कोई नहीं साथ ही गवाही देता हूँ कि....मुहम्मद अल्लाह के बन्दे और उसका रसूल है परन्तु, सवाल यह है कि यह गवाही दे कौन रहा है....? यानि यह कलमा कौन पढ़ रहा है इन्सान अर्थात इस्लाम स्वीकार करने वाला एक सामान्य सा मानव ही ना..? तो इसका मतलब क्या ? कुरान का अल्लाह अपने आप में सिद्ध नहीं है...

अल्लाह की पत्नी अशेरा है !

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अल्लाह की पत्नी अशेरा है ! इस लेख  का  शीर्षक  पढ़ कर  पाठक  जरूर  चौंक  जायेगे   , और कुछ लोग  इसे  झूठ  , और कोरी गप्प    भी  मान लेंगे , लेकिन  यह बात  बिलकुल  सत्य  और  प्रामाणिक  है   , लेकिन   इस  सत्य   को समझने के लिए  हमें   पता  होना  चाहिए कि  कुरान   से पहले भी अल्लाह  की  तीन  और किताबें   थीं  ,  जिनके नाम  तौरेत  ,  जबूर  और  इंजील   हैं   , इस्लामी   मान्यता  के अनुसार  अल्लाह  ने  जैसे मुहम्मद  साहब  पर  कुरान   नाजिल  की थी  ,उसी तरह  मूसा को  तौरेत  , दाऊद  को  जबूर  और  ईसा को  इंजील नाजिल  की थी  . यहूदी  सिर्फ  तौरेत  और  जबूर  को  और ईसाई  इन तीनों ...

नववर्ष 2075(18 मार्च 2018) की अग्रिम शुभकामनाएं।

http://www.adsb.co.uk/date_and_time/calendar_reform_1752/ ना तो जनवरी साल का पहला मास है और ना ही 1 जनवरी पहला दिन.... -आर्य दीपक फूल नववर्ष 2075(18 मार्च 2018) की अग्रिम शुभकामनाएं। अगर आप भी आज तक जनवरी को पहला महीना मानते आए है, तो इस लेख को पढ़कर कृपया पुनः विचार करिए। तथ्य सं0:-1 हिन्दी में सात को सप्त, आठ को अष्ट कहा जाता है, इसे अग्रेज़ी में sept(सेप्ट) तथा oct(ओक्ट) कहा जाता है... ऐसे ही nov=9 और dec=10 इसके अनुसार तो सितंबर, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर क्रम से 7वाँ, 8वाँ, 9वाँ और 10वाँ महीना होना चाहिए जबकि ऐसा नहीं है  ये क्रम से 9वाँ,10वाँ,11वां और12वाँ महीना है। तथ्य सं0:-2 1752(calendar act 1751, England देखे) के पहले दिसंबर दसवाँ महीना ही हुआ करता था। और नव वर्ष 25 मार्च को मनाया जाता था। http://www.adsb.co.uk/date_and_time/calendar_reform_1752/ इसका एक प्रमाण और है .. जरा विचार करिए कि 25 दिसंबर यानि क्रिसमस को X-mas क्यों कहा जाता है???? इसका उत्तर ये है की "X" रोमन लिपि में दस का प्रतीक है और mas यानि मास अर्थात महीना। चूंकि दिसंबर दसवां...

स्वामी दयानंद के विषय में भांग खाने को लेकर एक भ्रान्ति का प्रचार पाखंड गुरु रामपाल और उसके अंधे चेले कर रहे हैं।

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स्वामी दयानंद के विषय में भ्रान्ति और उसका निवारण स्वामी दयानंद के विषय में भांग खाने को लेकर एक भ्रान्ति का प्रचार पाखंड गुरु रामपाल और उसके अंधे चेले कर रहे हैं। विडंबना यह हैं की वे न तो सत्य जानते हैं और न ही जानना चाहते हैं। रामपाल और उसके चेलो को देखकर ऐसा लगता हैं जैसे एक अँधा दूसरे अंधों को रास्ता दिखा रहा हैं। स्वामी दयानंद का जन्म शैव परिवार में हुआ था। उनके यहाँ पर शिव भगवान की पूजा पीढ़ियों से की जाती थी। पौराणिक समाज में शिव भक्ति में विशेष रूप से सोमवार और शिवरात्रि के दिन भांग, धतुरा, बिल्वपत्र आदि से पूजा तो आज भी प्रचलित हैं। उनके अलावा नागा साधू समाज और सूफी समाज में भी यह मान्यता हैं की भांग के नशे में चूर होना ईश्वर भक्ति की चरम सीमा तक जाने के समान हैं। वैसे कबीर को भी सूफी समाज का अंग माना जाता हैं। स्वामी दयानंद ईश्वर की खोज में गृह त्याग कर निकले थे। उनकी अवस्था एक जिज्ञासु के समान थी जो सत्य की खोज कर रहा था। उनके जीवन चरित को पढ़ने से इस बात का ज्ञात भली भान्ति हो जाता हैं की वे किस प्रकार साधुओं का ज्ञान प्राप्ति के लिए संसर्ग करते थे। ऐसे में शैव सा...

अम्बेडकर और इस्लाम - 2

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अम्बेडकर और इस्लाम - 2 पिछले पोस्ट मे मैने बताया था कि बाबासाहब अम्बेडकर हिन्दुइज्म के साथ-साथ इस्लाम की कट्टरता के भी निन्दक थे, पर उनके नाम पर बने बामसेफ जैसे संगठन इन बातों को छुपाते हैं! बाबासाहब समय-समय पर इस्लाम की आलोचना करते थे, उसी को आगे बढ़ाते हुये अम्बेडकर ने भारत के मध्यकालीन इतिहास को अपनी किताब 'पाकिस्तान अथवा भारत के विभाजन' मे दर्शाया है! डा० अम्बेडकर ने किताब के पृष्ठ-70 से महमूद गजनवी के आक्रमण के बारें मे लिखना शुरू किया है, यह बात आपको समझ लेना चाहिये कि अम्बेडकर बड़े उच्चकोटि के इतिहासकार भी थे! बाबासाहब ने गजनवी के इतिहासकार 'अल उतबी' कि किताब से प्रमाण देते हुये लिखा है कि- "गजनवी का भारत पर आक्रमण 'जिहाद' छेड़ने की बराबरी थी, उसने मन्दिरों से मूर्तियों को तोड़कर इस्लाम की स्थापना की! उसने नापाक काफिरों और मूर्तिपूजकों को मार मुसलमानों को गौरवान्वित किया! और जब वह भारत मे पहली विजय करके घर (गजनी) लौटा तो उसने संकल्प लिया कि वह हर साल हिन्द (भारत) के खिलाफ इसी तरह जिहाद करेगा" उक्त कथन इतिहासकार अल उतबी ने लिखा ह...
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आमतौर पर लोग डा० बाबासाहब अम्बेडकर को बहुत बुद्धिजीवी और पाखण्ड विरोधी मानते हैं, पर यह लोगों की भूल है! असल मे किसी व्यक्ति को बेहतर समझने के लिये उसकी कृतियों को पढ़ना जरूरी होता है, और अम्बेडकर जी की एक ऐसी ही कृति है "भगवान बुद्ध और उनका धम्म" इस किताब मे अम्बेडकर ने तथागत बुद्ध की पूरी जीवनी और उनके उपदेशों को लिखा है.... मेरे एक मित्र ने मुझे यह किताब पढ़ने का सुझाव दिया, और पढ़कर मुझे ऐसा लगा कि अम्बेडकर भी किसी पौराणिक ब्राह्मण से कम पाखण्डी नही थे! अम्बेडकर इस किताब मे गौतम बुद्ध के जन्म के संदर्भ मे लिखते हैं कि एक बार महामाया (बुद्ध की माँ) किसी उत्सव मे गयी थी, और उन्हे वहाँ निद्रा आ गयी! फिर उन्होने स्वप्न देखा कि कुछ देवता आये और उन्हे उठाकर एक सुन्दर उपवन मे ले गये! वहाँ उन देवताओं और उनकी देवियों ने महामाया का खूब स्वागत-सत्कार किया, फिर एक 'सुमेध' नामक देवता ने आकर महामाया से प्रार्थना की, और कहा- "हे देवी! मै धरती पर अपना अन्तिम अवतार लेना चाहता हूँ, क्या आप मेरी माँ बनोगी? महामाया ने हाँ कर दिया, और वही सुमेध ही नियत समय पर बुद...
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अम्बेडकर और इस्लाम - 1 यह बात तो लगभग सभी जानते हैं कि बाबासाहब अम्बेडकर हिन्दुइज्म के मुखर आलोचक थे, वे हिन्दूधर्म मे व्याप्त वर्णव्यवस्था और जातिव्यवस्था के घोर निन्दक थे! उन्होने हिन्दुत्व पोल खोलती हुई एक किताब 'Riddles in hinduism' भी लिखी थी, पर अम्बेडकर के इस्लाम पर क्या विचार थे, यह बहुत कम लोग ही जानते है! अम्बेडकर इस्लाम के आलोचक थे या प्रशंसक, यह जानने के लिये उन्ही की किताबों का अध्ययन करना जरूरी है! अम्बेडकर के हिन्दूविरोधी होने के नाते आज तमाम हिन्दूवादी संगठन अम्बेडकर का भी विरोध करते थे, पर शायद यह कम लोग ही जानते है कि अम्बेडकर इस्लाम के भी बड़े आलोचक थे! तमाम अम्बेडकरवादी संगठन बाबासाहब के हिन्दुत्व पर विचारों का प्रचार तो करते हैं, पर इस्लाम पर कही गयी और लिखी गयी उनकी बातों को छुपाते हैं! अम्बेडकर हिन्दुधर्म के पाखण्ड और इस्लाम की कट्टरता, दोनो के विरोधी थे! उन्होने अपनी किताब "पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन" मे इस्लाम की खुलकर आलोचना की है, पर भीमवादी और बामसेफी इस बात को यह सोचकर दबाते हैं कि हिन्दुओं के खिलाफ जो एक दलि...